देवघर। राजनीति में अक्सर हम बड़े-बड़े वादों, दिखावे और शानो-शौकत से भरे हुए नेताओं को देखते हैं, जिनका मुख्य उद्देश्य अपनी छवि और प्रतिष्ठा बनाना होता है। लेकिन कुछ नेता ऐसे होते हैं, जो अपनी सादगी और विनम्रता के कारण जनता के दिलों में एक खास स्थान बना लेते हैं। *जयराम महतो* उन्हीं नेताओं में से एक हैं, जिनकी सादगी और जनसेवा का तरीका लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन चुका है।
जयराम महतो, जो वर्तमान में डुमरी से विधायक चुने गए हैं, उनकी जिंदगी में एक ऐसी कहानी है जो हम सभी को सिखाती है कि सच्चे नेता वही होते हैं जो दिखावे से दूर रहकर, अपने कार्यों से समाज का भला करते हैं। एक दिन जयराम महतो किसी जूस विक्रेता से मिले और उससे कहा कि वह सुबह से कुछ नहीं खाए हैं। जूस विक्रेता ने अपने घर से लाया हुआ खाना उन्हें पेश किया। जयराम महतो ने बिना किसी संकोच के उस भोजन को स्वीकार किया। यह एक साधारण सी घटना थी, लेकिन इसने उनकी सादगी और सरलता को स्पष्ट रूप से दर्शाया। उनके लिए किसी की मदद स्वीकार करना या गरीब का भोजन ग्रहण करना कोई बड़ा काम नहीं था, बल्कि यह उनके दिल की सच्चाई और सरलता को उजागर करता था।
जयराम महतो की सादगी केवल इस छोटी सी घटना तक सीमित नहीं है, बल्कि उनका जीवन हर कदम पर इसी विचारधारा से प्रेरित है। चाहे वह चुनावी प्रचार हो, समाज सेवा हो, या फिर जनता से संवाद, वह हमेशा अपनी सादगी और ईमानदारी से लोगों के बीच रहते हैं। उनका यह आचरण यह सिद्ध करता है कि एक सच्चा नेता वही होता है, जो अपने लोगों के बीच रहता है, उनके सुख-दुःख में शामिल होता है और बिना किसी दिखावे के अपने कर्तव्यों को निभाता है। उनका उद्देश्य केवल राजनीति में नाम कमाना नहीं, बल्कि समाज के हर वर्ग के लिए काम करना और उनके जीवन को बेहतर बनाना है।
आज के समय में जब राजनीति में कई नेता अपनी छवि बनाने और आडंबर में फंसे रहते हैं, जयराम महतो जैसे नेता यह साबित करते हैं कि सच्ची सफलता सादगी, ईमानदारी और मेहनत से ही मिलती है। उनका यह आचरण यह बताता है कि राजनीति का असली उद्देश्य केवल सत्ता प्राप्ति नहीं, बल्कि समाज के हर वर्ग के कल्याण के लिए काम करना है।
जयराम महतो की सादगी आज के समय में एक मिसाल बन गई है। यह यह प्रमाणित करती है कि असली ताकत दिखावे, आडंबर और शानो-शौकत में नहीं, बल्कि सच्चाई, ईमानदारी और सरलता में होती है। उनका जीवन और कार्यशैली हर नागरिक के लिए एक प्रेरणा है कि यदि हम समाज के लिए सच्चे मन से काम करें, तो हमें किसी भी बाहरी चीज़ की आवश्यकता नहीं होती।