पटना। आज संसद में वित्तमंत्री द्वारा पेश किए गए 2022 – 23 के बजट में देश के किसानों, बेरोजगारों एवं छोटे कर दाताओं को राहत देने के लिए कोई प्रावधान नहीं किया गया। जिसके कारण देश में बेरोजगारी चरम सीमा पार करने वाली है। श्री राणा ने आगे कहा कि कोरोना संक्रमण के कारण बाजारों पर लगाए गए प्रतिबंध की वजह से छोटे छोटे व्यवसायियों एवं दिहाड़ी मजदूरों को बजट से काफी उम्मीदें थीं। लेकिन वित्तमंत्री ने उनके लिए बजट में कोई प्रावधान नहीं कर यह दिखा दिया कि केन्द्र सरकार सिर्फ अडानी, अम्बानी, टाटा समेत कुछ गिने चुने औधोगिक घरानों के लिए ही काम करने में विश्वास करती है। उन्होनें आगे कहा की जिस प्रकार महंगाई, भ्रष्टाचार, रोजगार एवं विदेशों से काला धन वापसी तथा भारत के अनेक बैकों से लाखों करोड़ रुपये लेकर भागने वालों पर कोई चर्चा नहीं किया गया, जो दुर्भाग्यपूर्ण है।

इस बजट में गांवों को इंटरनेट से जोड़ने को रोजगार उपलब्ध कराने की बात कही गई है, जो हास्यास्पद है। वहीं दूसरी ओर पुरानी योजना को इस बजट में जिक्र जैसे गंगा सफाई अभियान, गंगा किनारे प्राकृतिक खेती जैसी योजनाओं से लोगों को भरमाने की कोशिश की गई है। जिससे आम आदमी को कोई फायदा होता नहीं दिख रहा है। कुल मिलाकर बिहार एनसीपी को नई बजट से जनता को कोई लाभ होता नहीं दिख रहा है।

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